[ Featuring Javed Ali, Rashmi Virag ]
ज़िंदगी सुन मेरी बात तो ज़रा
ज़िंदगी था जो मेरी है कहाँ बता
एक भोला सा चेहरा था
बिलकुल दुआओं जैसा
जाने कहाँ वो खो गया
जिसे छु लून तो लगता
था रब्ब की पनाहो जैसा
जाने कहाँ वो खो गया
मेरे सफर का हमसफ़र
मुझसे ही अनजान था क्यूँ
जिसके लिए सदियों रुका
दो पल का मेहमान था क्यूँ
वक़्त की तरह
मेरे हाथों से उड़ गया
मैं वहीँ रहा
और वो आगे बढ़ गया
मेरे लिए तो सब कुछ था वो
अब कुछ ना रह गया
छोटी सी मेरी दुनिया था वो
मेरा घर खाली हो गया
दिल अभी मेरा
नहीं टूटा है ठीक से
है टिका हुआ बस एक उम्मीद पे
ख्वाबों में आता है रोज़ जो
सच मुच में आ जाए तो
तुम तोड़ देना पूरी तरह
कोई गलती जो फिर हो
ज़िंदगी सुन मेरी बात तो ज़रा
ज़िंदगी से मेरी बात तो करा
साथ उसके बहूंगा
मैं ठंडी हवाओं जैसा
दामन ना छोडूंगा कभी
मुझे एक बार दस बार
सौ बार दे सजा तू
कुछ भी ना बोलूंगा कभी
सारी उमर ओह हमसफ़र
परछाई तेरी बनूँगा
खुद को कभी देखोगे तो
मैं आईने में दिखूंगा