सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता
सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता
ला ला ला ला
यादों के गम ही तराने
गाती है तन्हाईयाँ
हाँ दिन ढल रहा है तो कितनी
लम्बी हैं परछाइयाँ
बस एक पल में होगा सभ धुआँ धुआँ
है आरज़ू की ये सदा
सुनो जरा सुनो जरा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है जो है ये कह रहा
के रहा में वह मोड़ आ गया
के जिसके आगे है ज़मीन न आसमान
न मंज़िलें न रास्ता
ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला