माही
माही मोला
हू हू हू हू हू
बेख़याली, में भी तेरा ही ख्याल आए
क्यूँ जुदाई दे गया तू ये सवाल आए
थोड़ा सा मैं खफ़ा, हो गया अपने आप से
थोड़ा सा तुझपे भी, बेवजह ही मलाल आए
माही ही ही ही
माही
बेख़याली
है ये तड़पन है ये उलझन कैसे जी लूँ बिना तेरे
मेरी अब सब से है अनबन बनते क्यूँ ये ख़ुदा मेरे
ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ
ये जो लोग बाग हैं जंगल की आग हैं
क्यूँ आग में जलूँ ये नाकाम प्यार में
खुश हैं ये हार में इन जैसा क्यूँ बनूँ
हू हू हू हू हू
बेख़याली, में भी तेरा ही ख्याल आए
क्यूँ जुदाई दे गया तू ये सवाल आए
थोड़ा सा मैं खफ़ा, हो गया अपने आप से
थोड़ा सा तुझपे भी, बेवजह ही मलाल आए