[ Featuring Mahendra Kapoor, DJ MHD IND ]
पूरब में सूरज ने छेड़ी, जब किरणों की शहनाई
चमक उठा सिन्दूर गगन पे, पच्छिम तक लाली छाई
दुल्हन चली, हाँ पहन चली
हो रे दुल्हन चली, हो पहन चली
तीन रंग की चोली
बाहों में लहराए गंगा जमुना
देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली(दुल्हन चली)
चाँदी रंग अंग है, तो धनि तरंग लहंगा
सोने रंग चूने का मोल बड़ा महंगा
मन सीता जैसा, वचन गीता जैसे
डोले प्रीत की बोली
दुल्हन चली(आ आ आ आ)
मुख चमके ज्यूँ हिमालय की चोटी
हो ना पड़ोसी की नियत खोटी
ओ घर वालों ज़रा इसको संभालो
ये तो है बड़ी भोली
दुल्हन चली, हो पहन चली(हो पहन चली)
तीन रंग की चोली(तीन रंग की चोली)
ताजमहल जैसी ताजा है सूरत
चलती फिरती अजंता की मूरत
मेल मिलाप की मेहंदी रचाए
बलिदानों की रंगोली
दुल्हन चली
हो ओ हो ओ हो ओ
और सजेगी अभी और संवरेगी
चढ़ती उमरिया है और निखरेगी
अपनी आजादी की दुल्हनिया
दीप के ऊपर होली
दुल्हन चली, हो पहन चली(हो पहन चली)
तीन रंग की चोली(तीन रंग की चोली)