आँखों में अशक़ ही सही
दिल में मोहब्बत ही सही
जैसी अपनी, उसकी हालत ही सही
पर यह तय है की वो क़यामत मुझपे ढाएगी
हा वो जाएगी वो जाएगी, हा वो जाएगी
हा वो जाएगी वो
बातों बातों में यह बात की क्या होना है
फिर वो समझना जो मंज़ूर-ए-खुदा होना है
ओह बड़ी बेरूख़ी से कहना की जुड़ा होना है
और तो हो चुके बस एक सितम बाक़ी है
वो जुदा ही है बस जाने की रसम बाकी है
रसम बाकी है रसम बाकी है
रसम बाकी है वो ओ वो
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है
चाँद भी आ गया छत पे, सितारे भी
मेहन्दी भी रच गयी, गुलाब भी, हज़ारे भी
कौन देखे किसी सीने में अंगारे भी
दिल-ए-बर्बाद में शोला और चिंगारी है
मुझे पता है किस जशन की तैय्यरी है
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है (किस जशन की)
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है (वो ओ वो)
उसने इश्स प्यार का अंजाम सोच रखा है (वो ओ वो)
पर यह तय है की वो क़यामत मुझपे ढाएगी
हा वो जाएगी वो जाएगी, हा वो जाएगी