बदल रही जमीन
बदल रहा है आस्मां
बदल रही हवाएं और
बदल रहा जहां
बहनों तुम्हारे सामने
टेढ़ा सवाल है
मनुष्य के भविष्य
का तुम्हे ख़याल है
घूंघट निकाल के जो
तुम यु सूँघती रही
काजल नयन में डाल के
फूल सूँघती रही
नायलॉन की साड़ियों में
तन उभारती रही
फैशन परेड में उम्र
गुजारती रही
मिट जायेंगे ये मुल्क और
ये जातियां समाज
जो तुम न थाम लोगी
आज वक़्त की लगाम
बहनों तुम्हारे कन्धों
पे ग़ज़ब का भार है
स्वधर्म की स्वदेश की
तुम्हे पुकार है
जागो भविष्य की माताओं
जागों धरती की सीताओं
जागों कुरआन और गीताओं जागो
मर्दो के फ़ैसलो का तो, वही पुराना ढंग
दासी बनाकर हमको, रखना चाहते हैं संग
आदत पुरानी मर्दो की कभी ना जाएगी
तहज़ीब इनकी हैं, इन्हे यही सिखाएगी
बस हमसे तो इन्हे, रंगीला प्यार चाहिए
कुच्छ पुच्छने का भी, नही अधिकार चाहिए
परदा हटाओ धर्म का, ये शर्म छोड़ दो
औरत पे जो सितम करे, वो धर्म छोड़ दो
मर्दो के कारनामो के हैं, उनके रंग ढंग
मर्दो के हाथो से सदा ही होते आए जंग
ये जंग अब ना हो ना, जुल्मो का कही हो ज़ोर
बस आज अपने हाथ मे लो इनकी बागडोर
जागो शांति की अवतारी
जागो शासन की अधिकारी
जागो घर घर की संनारी जागो
विज्ञान का इन्हेँ हुआ
बड़ा गुमान हैं
माना की चन्द्रलोक
में गया विमान है
एटम बनाने वालों
को न इतना ध्यान है
एटम ही पर खड़ा
हुआ इनका मकान है
राकेट बनाके समझते
तरक्की हो गयी
इंसानियत की नींव
आज पक्की हो गयी
दिन रात झूठे ख्वाब
में ही झूलते हैं ये
होन क्या चाहिए
वो बात भुलते हैं ये
अपनी अपनी गृशस्थी
छोड़ जाने घुमते किधर
सारे जहां का बस
इन्हीं को है लगा फिकर
ताकत बटोरने का है
इन्हें बड़ा नशा
इस खींचतान में न हो
सभी की दुर्दशा
जागो हे ज्ञान की बालाओ
जागो विजयी जाई मालाओ
जागो जौहर की ज्वलाओ जागो