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Gulshan Jhankar Studio - Dukh Sukh Ki [Jhankar Beats 1] Lyrics



Gulshan Jhankar Studio - Dukh Sukh Ki [Jhankar Beats 1] Lyrics
Official




[ Featuring ]

आ आ आ आ आ आ आ आ

दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
ओ दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
हाथो की लकीरो मे, ये जागती सोती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है

आ आ आ आ आ आ आ

यादो की शम्मा ये बने, भूले नज़ारो में कभी (आ आ आ आ)
आने वाले कल पे हँसे, उड़ते नज़ारो मे कभी (आ आ आ आ)
एक हाथ मे अंधियारा, एक हाथ मे ज्योति है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है

आहो के जनाज़े दिल मे, आँखो मे चिताए गम की (आ आ आ आ)
नींदे बन गयी तिनका, चली वो हवाए गम की (आ आ आ आ)
इसान के अंदर भी, आँधी कोई होती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
हाथो की लकीरो मे, ये जागती सोती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
यादो की शाम ये भले भूल नज़ारो में कभी
आने वाले कल पे हसे खिलती भरो में कभी
इक हाथ में अँधिआरा इक हाथ में ज्योति है
दुख सुख की हर एक माला (आ आ आ आ)
खुद को छुपाने वालों का पल-पल पीछा ये करे (आ आ आ आ)
डरा देती है ऐसी तन्न मैं छल्ली करे (आ आ आ आ)
फिर दिल का हर एक घाव अश्कों से ये धोती है
दुख-सुख की हर एक माला कुदरत ही पिरोती है
हाथों की लकीरों में ये जागती-सोती है
दुख-सुख की हर एक माला कुदरत ही पिरोती है

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
[ Correct these Lyrics ]

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आ आ आ आ आ आ आ आ

दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
ओ दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
हाथो की लकीरो मे, ये जागती सोती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है

आ आ आ आ आ आ आ

यादो की शम्मा ये बने, भूले नज़ारो में कभी (आ आ आ आ)
आने वाले कल पे हँसे, उड़ते नज़ारो मे कभी (आ आ आ आ)
एक हाथ मे अंधियारा, एक हाथ मे ज्योति है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है

आहो के जनाज़े दिल मे, आँखो मे चिताए गम की (आ आ आ आ)
नींदे बन गयी तिनका, चली वो हवाए गम की (आ आ आ आ)
इसान के अंदर भी, आँधी कोई होती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
हाथो की लकीरो मे, ये जागती सोती है
दुख सुख की हर एक माला, कुद्रत ही पिरोती है
यादो की शाम ये भले भूल नज़ारो में कभी
आने वाले कल पे हसे खिलती भरो में कभी
इक हाथ में अँधिआरा इक हाथ में ज्योति है
दुख सुख की हर एक माला (आ आ आ आ)
खुद को छुपाने वालों का पल-पल पीछा ये करे (आ आ आ आ)
डरा देती है ऐसी तन्न मैं छल्ली करे (आ आ आ आ)
फिर दिल का हर एक घाव अश्कों से ये धोती है
दुख-सुख की हर एक माला कुदरत ही पिरोती है
हाथों की लकीरों में ये जागती-सोती है
दुख-सुख की हर एक माला कुदरत ही पिरोती है

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Qateel Shifai, R D Burman
Copyright: Lyrics © Royalty Network




Performed By: Gulshan Jhankar Studio
Featuring:
Length: 5:59
Written by: Qateel Shifai, R D Burman
[Correct Info]
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