[ Featuring Shailendra Singh, Usha Mangeshkar ]
कैसी ये जुदाई है
जान पे बन आई है
हम मजबूर चले दूर चले
लब पे दुहाई है
तेरा साथ छूट गया
दिल का साज़ टूट गया
तुझ बिन मित मेरे इन होंठों से
संगीत रूठ गया
ठंडी ठंडी पुरवाई
यादो ने ली अंगड़ाई
मेरे ख्यालो में तू मुस्कुराया
और आँख बार आई
पंछीयो का ढेरा था
दो घड़ी बसेरा था
कोन करेगा यकीन के कल को
यही संसार मेरा था
अब ना पायल छनकेगी
अब ना चूड़ी खनगेगी
अब वो उमंग लिए वो रंग लिए
बिंदिया ना चमकेगी
कह दो इन ऩज़ारो से
बागो की बहारो से
जख़्मो को मत छेड़ो ना यू खेलो
हम गम के मारो से