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Raat Khamosh Thi Video (MV)




Performed By: Hariharan
Length: 6:19
Written by: HARIHARAN, MUMTAZ RASHID




Hariharan - Raat Khamosh Thi Lyrics
Official




रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
पास आते रहे दूर जाते रहे
पास आते रहे दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
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रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
कोई साथी कोई हमसफर ना मिला
शहर अनजान था उसका घर ना मिला
पास आते रहे दूर जाते रहे
पास आते रहे दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
सूनी आँखों में कांटे खटकते रहे
दर्द सीने में लेके भटकते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे

उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
उसकी साँसों की गर्मी फजाओं में थी
उसकी जुल्फों की खुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
हम भी शेरों मे राशिद सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी था मैं अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात खामोश थी गुनगुनाते रहे
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Writer: HARIHARAN, MUMTAZ RASHID
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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