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Hero - Sheesha Ho Ya Dil Ho [HiFi Jhankar Beats] Lyrics

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Hero - Sheesha Ho Ya Dil Ho [HiFi Jhankar Beats] Lyrics
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हो हो ओ ओ ओ आ आ आ (आ आ आ)

शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
साग़र छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है

हो हो हो हो
काफी बस अरमान नहीं
कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है
फिर तक़दीर ज़रूरी है
ये दो दुश्मन हैं ऐसे
दोनों राज़ी हों कैसे
एक को मनाओ तो दूजा
रूठ जाता है
रूठ जाता है
रूठ जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है

बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से
इस दिल के अरमानों से
हमको ये मालूम ना था
कोई साथ नहीं देता
कोई साथ नहीं देता
माँझी छोड़ जाता है साहिल
छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
शीशा हो या दिल हो

दुनिया एक तमाशा है
आशा और निराशा है
थोड़े फूल हैं काँटे हैं
जो तक़दीर ने बाँटे हैं
अपना अपना हिस्सा है
अपना अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है
कोई लूट जाता है
लूट जाता है
लूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
साग़र छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
[ Correct these Lyrics ]

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हो हो ओ ओ ओ आ आ आ (आ आ आ)

शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
साग़र छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है

हो हो हो हो
काफी बस अरमान नहीं
कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है
फिर तक़दीर ज़रूरी है
ये दो दुश्मन हैं ऐसे
दोनों राज़ी हों कैसे
एक को मनाओ तो दूजा
रूठ जाता है
रूठ जाता है
रूठ जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है

बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से
इस दिल के अरमानों से
हमको ये मालूम ना था
कोई साथ नहीं देता
कोई साथ नहीं देता
माँझी छोड़ जाता है साहिल
छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
शीशा हो या दिल हो

दुनिया एक तमाशा है
आशा और निराशा है
थोड़े फूल हैं काँटे हैं
जो तक़दीर ने बाँटे हैं
अपना अपना हिस्सा है
अपना अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है
कोई लूट जाता है
लूट जाता है
लूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आख़िर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
साग़र छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
[ Correct these Lyrics ]
Writer: ANAND BAKSHI, LAXMIKANT PYARELAL, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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