Back to Top

Jagjit Singh - Bujh Gayi Tapte Hue Din Ki Agan Lyrics

theme

Jagjit Singh - Bujh Gayi Tapte Hue Din Ki Agan Lyrics
Official




बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ

एक नीली झील-सा फैला अचल
एक नीली झील-सा फैला अचल
आज ये आकाश है कितना सजल
चाँद जैसे रूप का उभरा कमल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ

चल रहा है चैत का चंचल पवन
चल रहा है चैत का चंचल पवन
बाँध लो बिखरे हुए कुन्तल सघन
आज लो कजरा उदासे हैं नयन
माँग भर लो भाल पर बिंदिया सजाओ
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ

एक नीली झील-सा फैला अचल
एक नीली झील-सा फैला अचल
आज ये आकाश है कितना सजल
चाँद जैसे रूप का उभरा कमल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ

चल रहा है चैत का चंचल पवन
चल रहा है चैत का चंचल पवन
बाँध लो बिखरे हुए कुन्तल सघन
आज लो कजरा उदासे हैं नयन
माँग भर लो भाल पर बिंदिया सजाओ
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कराओ
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Vinod Sharma
Copyright: Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
LyricFind

Back to: Jagjit Singh



Jagjit Singh - Bujh Gayi Tapte Hue Din Ki Agan Video
(Here for Video at the top of page)


Performed By: Jagjit Singh
Length: 7:14
Written by: Vinod Sharma

Tags:
No tags yet