कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों
उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों
आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण धमकाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की
कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की
घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है