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Jagjit Singh - Khamoshi Khud Apni Sada Ho Lyrics



Jagjit Singh - Khamoshi Khud Apni Sada Ho Lyrics
Official




ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
सन्नटा ही गूँज रहा हो
सन्नटा ही गूँज रहा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

मेरा माज़ी मुझ से बिछड़ कर क्या जाने किस हाल में है
मेरा माज़ी मुझ से बिछड़ कर क्या जाने किस हाल में है
मेरी तरह वो भी तन्हा हो
मेरी तरह वो भी तन्हा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

सहरा सहरा कब तक मैं ढूँढू उल्फ़त का इक आलम
सहरा सहरा कब तक मैं ढूँढू उल्फ़त का इक आलम
आलम आलम इक सहरा हो
आलम आलम इक सहरा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

एहले -ए-तूफाँ सोच रहे हैं साहिल डूबा जाता है
एहले-ए-तूफाँ सोच रहे हैं साहिल डूबा जाता है
ख़ुद उनका दिल डूब रहा हो
ख़ुद उनका दिल डूब रहा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
सन्नटा ही गूँज रहा हो
सन्नटा ही गूँज रहा हो ऐसा भी हो सकता है
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ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
सन्नटा ही गूँज रहा हो
सन्नटा ही गूँज रहा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

मेरा माज़ी मुझ से बिछड़ कर क्या जाने किस हाल में है
मेरा माज़ी मुझ से बिछड़ कर क्या जाने किस हाल में है
मेरी तरह वो भी तन्हा हो
मेरी तरह वो भी तन्हा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

सहरा सहरा कब तक मैं ढूँढू उल्फ़त का इक आलम
सहरा सहरा कब तक मैं ढूँढू उल्फ़त का इक आलम
आलम आलम इक सहरा हो
आलम आलम इक सहरा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है

एहले -ए-तूफाँ सोच रहे हैं साहिल डूबा जाता है
एहले-ए-तूफाँ सोच रहे हैं साहिल डूबा जाता है
ख़ुद उनका दिल डूब रहा हो
ख़ुद उनका दिल डूब रहा हो ऐसा भी हो सकता है
ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो ऐसा भी हो सकता है
सन्नटा ही गूँज रहा हो
सन्नटा ही गूँज रहा हो ऐसा भी हो सकता है
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Writer: JAGJIT SINGH, ZAKA SIDDIQI
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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