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Zindagi Kya Hai Video (MV)




Performed By: Jagjit Singh
Featuring:
Length: 4:57
Written by: GULZAR, JAGJIT SINGH




Jagjit Singh - Zindagi Kya Hai Lyrics
Official




[ Featuring ]

आदमी बुलबुला हैं पानी का

और पानी की बहती सतह पर
टूट ता भी हैं डूबता भी हैं
फिर उभरता हैं फिर से बहता हैं

ना समंदर निगल सका इसको
ना तवारीख तोड़ पाई हैं

वक़्त की मौज पर सदा बहता
आदमी बुलबुला हैं पानी का

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है

आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसम-ए-गुल ने ख़ुदकशी कर ली

किसने बारूद बोया बागों में

आओ हम सब पहन लें आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा

सबको सारे हसीं लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आईने पर छपा हुआ चेहरा

तर्जुमा आईने का ठीक नही

हम को ग़ालिब ने ये दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फ़क़त दिनों में गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है

बात सुनते तो ग़ालिब हो जाते

ऐसे बिखरे हैं रात दिन जैसे
मोतियों वाला हार टूट गया

तुमने मुझको पिरो के रखा था
तुमने मुझको पिरो के रखा था

ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म
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आदमी बुलबुला हैं पानी का

और पानी की बहती सतह पर
टूट ता भी हैं डूबता भी हैं
फिर उभरता हैं फिर से बहता हैं

ना समंदर निगल सका इसको
ना तवारीख तोड़ पाई हैं

वक़्त की मौज पर सदा बहता
आदमी बुलबुला हैं पानी का

ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है

आज तक कोई भी रहा तो नही

सारी वादी उदास बैठी है
मौसम-ए-गुल ने ख़ुदकशी कर ली

किसने बारूद बोया बागों में

आओ हम सब पहन लें आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा

सबको सारे हसीं लगेंगे यहाँ

है नही जो दिखाई देता है
आईने पर छपा हुआ चेहरा

तर्जुमा आईने का ठीक नही

हम को ग़ालिब ने ये दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फ़क़त दिनों में गया

लब तेरे मीर ने भी देखे है
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है

बात सुनते तो ग़ालिब हो जाते

ऐसे बिखरे हैं रात दिन जैसे
मोतियों वाला हार टूट गया

तुमने मुझको पिरो के रखा था
तुमने मुझको पिरो के रखा था

ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म
[ Correct these Lyrics ]
Writer: GULZAR, JAGJIT SINGH
Copyright: Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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