[ Featuring ]
नटखट नटखट जमुना के तट पर
कुछ तोह चुराये हाय मैया
दिल चुराए नींद चुराए
चैन चुराए हाय मैया
कैसे मैं जाऊँ घर अपने
सब लाज शर्म मैं छोड़ि रे
कैसे कहूँ किस नटखट
ने किया माखन चोरी रे
मैय्या यशोदा मोरि गगरी से
जमुना के पुल पर
माखन हाँ कोई
दे माखन चुरा ले गया
हो मैय्या यशोदा कैसे
जाऊँ घर जमुना के पुल पर
माखन हाँ कोई
दे माखन चुरा ले गया
मोरी बाँह है मोढ़ी नट्खट रे
पर दिल को जोधी नट्खट रे
मोरि गागरी कोटि नट्खट रे
मैं बोझ से छोटी नटखट रे
मोरि थामे कलई उस किनारे ले गया
हो मैय्या यशोदा सच्च कहता हूँ
मैं जमुना के पुल पर
माखन की गगरी
से माखन बचा ले गया (हो मैय्या)
यशोदा मोरि गगरी से जमुना के पुल पे
माखन हाँ कोई
दे माखन चुरा ले गया
हो सुना था इक दिन मैंने
जमुना तट पर चलते चलते
किसी गोपी को बैठ अकेले
रोटी रैना ढलते
मैंने सोचा कि मेरी
मैय्या से मैं क्या बोलूँगा
कहे न रोका उस रोटी
गोरड़िया के दिल को चलते
हाँ माखन तोह चुराया
पर उसको भी सिखाया
के तू भी तोह थोड़ा सा छैक ले भाई
ओ माई हम दोनों फिर जा
बैठे उस जमुना के पुल पर
माखन हम मिल के
रे माखन छठा हो गया
हो मैय्या यशोदा मोरि गगरी से
जमुना के पुल पे
माखन हाँ कोई
दे माखन चुरा ले गया
हो माहि मोहे लाज
आवे काहे मैं रो रो करती थी
तू ही माखन चोरी मैं
बेथ के बस आहें भरती थी
फिर तेरे नटखट ने इक दिन
मोहे यह राज़ बताया
हो फिर तेरे नटखट ने इक
दिन मोहे यह राज़ बताया
चोरी होता था माखन
क्यूँ के चारों से दरर्ति थी
जो माखन जैम के खाए
तोह क्या कोई चुराये
तोह चख ले और चखा ले थोड़ा माई
हो मैं तोरे नटखट को
मैंने ही जमुना के पुल पे
माखन खिलाया रे
माखन मेरा हो गया (मैय्या)
यशोदा सच कहता हूँ मैं जमुना के पुल पर
माखन हाँ गोरी
को माखन खिलने गया
नटखट नटखट जमुना के
तट पर कुछ तोह चुराये हाय मैया
दिल चुराए नींद चुराए
चैन चुराए हाय मैया
कैसे मैं जाऊँ घर अपने
सब लाज शर्म मैं छोड़ि रे
कैसे कहूँ किस नट्खट ने
किया माखन चोरी रे
चोरी रे चोरी रे
चोरी रे चोरी रे
मैय्या यशोदा कैसे जाऊ मैं
जमुना के पुल पर
माखन हाँ गोरी
को माखन चुरा ले गया
मैय्या यशोदा सच कहता हूँ मैं
जमुना के पुल पर
माखन की गगरी से माखन बचा ले गया