मुझे डस रही है मेरी बेवफ़ाई
चीता अपने आँगन में खुद ही सजाई
मुझे डस रही है मेरी बेवफ़ाई
चीता अपने आँगन में खुद ही सजाई
बुने थे जो सपने वो उलझे है ऐसे
के अपने ही जालो मैं खोई हुई हू
मसीहा को अपने दिया मैने धोखा
मैं किस्मत के चालो मैं खोई हुई हू
हो फरिश्ता कहु या खुदा-ए-मोहब्बत
मैं ऐसे सवालो में खोई हुई हू