नहीं कोई माबूद तेरे सिवा
ला इलाहा इल्लल्लाह
जो भी आता है दिल में
मैं उससे कहने लगता हूँ
और वो भी ये जानता है
मेरा उसके सिवा कौन है
सिफारिशों की ज़रूरत नहीं
उसकी बारगाह में
माँगता क्यों नहीं उससे दुआ
तू क्यों तड़प कर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही
अपना कोई दोस्त नही
अपना कोई यार नही
तू जो हाथ थाम ले तो
मुश्किलें हो प्यार यूँ ही
तुझसे ही उम्मीदें जुड़ी
तेरे आगे झुकता है सर
तू ही मेरा अल-वली
तू ही साँवरे मुक़द्दर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है
तेरे क़रीब तुझसे ज़्यादा
वो हर लम्हा रहता है
तू बाद में है सोचता वो पहले
जान जाता है
तू एक कदम चले और
वो दौड़कर आता है
वो तुझको कितना चाहता
है तुझे भी नहीं खबर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
तेरे बन्दे हैं करदे करम हमपे
तू देने वाला तुझसे ही माँगूँ मैं
छाये जो हमपे ग़म के अँधेरे
बस तू है उजाला जो लाए सवेरे
तू रब्ब-ए-काबा तुझपे ही ईमान है
तूने दी जान है जो तुझपे कुर्बान है
तू ही रोज़-ए-जज़ा का है मालिक
तू ही रेहमत का समंदर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर
अल्लाहु अकबर
हम पे करम कर
हम गुनहगार हैं
हम पे रहम कर