ये मस्ती के नज़ारें हैं तो ऐसे में संभलना कैसा मेरी क़सम तू लहराती डगरिया हो तो फिर क्यूँ ना चलूँ मैं बहका बहका रे मेरे जीवन में ये शाम आई है महोब्बत वाले ज़माने लिये हो चला जाता हूँ किसी की धुन में धड़कते दिल के तराने लिये
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ये मस्ती के नज़ारें हैं तो ऐसे में संभलना कैसा मेरी क़सम तू लहराती डगरिया हो तो फिर क्यूँ ना चलूँ मैं बहका बहका रे मेरे जीवन में ये शाम आई है महोब्बत वाले ज़माने लिये हो चला जाता हूँ किसी की धुन में धड़कते दिल के तराने लिये