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Kishore Kumar - Ek Pardesi Raat Ko Lyrics

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Kishore Kumar - Ek Pardesi Raat Ko Lyrics
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अरे छोटे और बड़े का अब तो हुआ पुराना किस्सा
अरे दुनिया की जागीर है सब का एक बराबर हिस्सा

एक पड़ोसी रात को सोये और दूसरा रोये
तो इन्साफ कहाँ का है,ये इन्साफ कहाँ का है
ये इन्साफ कहाँ का है
अरे कहो अगर इंसान किसी की राह में कांटे बोए

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

बनाया मालिक ने सब के लिए है चाँद सितारों को
तो फिर क्या हक़ है
है तो फिर क्या हक़ है बंदे को करे तक़सीम बहारो को

करे तक़सीम बहारो को

सब के बाग़ बगीचे पर जब एक का कब्ज़ा होये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

बना है शाह खज़ाने का ये है इसान की नादानी
बताओ कितना खा लेगा, बताओ कितना खा लेगा
ये दाना और हवा पानी

ये दाना और हवा पानी

अरे पैसे जैसी चीज़ की खातिर कोई शराफत खोये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

सभी एक डाल के पंछी है सभी का एक ठिकाना है
लगाओ एक साथ
लगाओ एक साथ नारा की ये जनता का ज़माना है

ये जनता का ज़माना है

कोई किसी का बिज चुराकर अपनी खेती बोये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

एक पडोसी रात को सोये (एक पडोसी रात को सोये)
और दूसरा रोये (और दूसरा रोये)
तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
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अरे छोटे और बड़े का अब तो हुआ पुराना किस्सा
अरे दुनिया की जागीर है सब का एक बराबर हिस्सा

एक पड़ोसी रात को सोये और दूसरा रोये
तो इन्साफ कहाँ का है,ये इन्साफ कहाँ का है
ये इन्साफ कहाँ का है
अरे कहो अगर इंसान किसी की राह में कांटे बोए

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

बनाया मालिक ने सब के लिए है चाँद सितारों को
तो फिर क्या हक़ है
है तो फिर क्या हक़ है बंदे को करे तक़सीम बहारो को

करे तक़सीम बहारो को

सब के बाग़ बगीचे पर जब एक का कब्ज़ा होये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

बना है शाह खज़ाने का ये है इसान की नादानी
बताओ कितना खा लेगा, बताओ कितना खा लेगा
ये दाना और हवा पानी

ये दाना और हवा पानी

अरे पैसे जैसी चीज़ की खातिर कोई शराफत खोये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

सभी एक डाल के पंछी है सभी का एक ठिकाना है
लगाओ एक साथ
लगाओ एक साथ नारा की ये जनता का ज़माना है

ये जनता का ज़माना है

कोई किसी का बिज चुराकर अपनी खेती बोये

तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)

एक पडोसी रात को सोये (एक पडोसी रात को सोये)
और दूसरा रोये (और दूसरा रोये)
तो इन्साफ कहाँ का है (तो इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
ये इन्साफ कहाँ का है (ये इन्साफ कहाँ का है)
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Writer: C Ramchandra, Rajendra Krishna
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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