Back to Top

Kishore Kumar - Ghar Se Beghar Lyrics

theme

Kishore Kumar - Ghar Se Beghar Lyrics
Official




घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी
हो घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

रफ्ता रफ्ता आ गयी
दो दिलों में दूरियां
रफ्ता रफ्ता आ गयी
दो दिलों में दूरियां
कल मोहब्बत थी जहाँ
आज है मजबूरिया
हो कल मोहब्बत थी जहाँ
आज है मजबूरिया
आज क़ामिल हो गयी
साजिसे रक़ीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

तुझको ऑय दिल मिल गया
अब वफाओं का सिला
तुझको ऑय दिल मिल गया
अब वफाओं का सिला
कर दिया कातिब ने आखिर
आज अपना फैसला
कर दिया कातिब ने आखिर
हो आज अपना फैसला
दिल के टुकड़े कर गयी
ठोकरे हकिम की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

रोक तो सकते नहीं
जिंदगानी का सफ़र
रोक तो सकते नहीं
जिंदगानी का सफ़र
हो सके मिल जाए राह में
और कोई हमसफ़र
हो सके मिल जाए राह में
और कोई हमसफ़र
जाने क्यों लगती है दिल को
हर ख़ुशी अजीब सी
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

आता है इस ज़िन्दगी में
ऐसा भी रातो बदल
आता है इस ज़िन्दगी में
ऐसा भी रातो बदल
जब के सोये सोये अरमा
फिर से जाते है मचल
हो जब के सोये सोये अरमा
फिर से जाते है मचल
पुरकशी लगती है दिल को
धुन पुराने गीत की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी हो
घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी
मंज़िले करीब थी
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी
हो घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

रफ्ता रफ्ता आ गयी
दो दिलों में दूरियां
रफ्ता रफ्ता आ गयी
दो दिलों में दूरियां
कल मोहब्बत थी जहाँ
आज है मजबूरिया
हो कल मोहब्बत थी जहाँ
आज है मजबूरिया
आज क़ामिल हो गयी
साजिसे रक़ीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

तुझको ऑय दिल मिल गया
अब वफाओं का सिला
तुझको ऑय दिल मिल गया
अब वफाओं का सिला
कर दिया कातिब ने आखिर
आज अपना फैसला
कर दिया कातिब ने आखिर
हो आज अपना फैसला
दिल के टुकड़े कर गयी
ठोकरे हकिम की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

रोक तो सकते नहीं
जिंदगानी का सफ़र
रोक तो सकते नहीं
जिंदगानी का सफ़र
हो सके मिल जाए राह में
और कोई हमसफ़र
हो सके मिल जाए राह में
और कोई हमसफ़र
जाने क्यों लगती है दिल को
हर ख़ुशी अजीब सी
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी

आता है इस ज़िन्दगी में
ऐसा भी रातो बदल
आता है इस ज़िन्दगी में
ऐसा भी रातो बदल
जब के सोये सोये अरमा
फिर से जाते है मचल
हो जब के सोये सोये अरमा
फिर से जाते है मचल
पुरकशी लगती है दिल को
धुन पुराने गीत की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी हो
घर से बेघर कर गयी
करवटे नसीब की
दूर कितनी हो गयी जो
मंज़िले करीब थी
मंज़िले करीब थी
[ Correct these Lyrics ]
Writer: JUGAL KISHORE, M.G. HASHMAT, TILAK RAJ
Copyright: Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
LyricFind




Kishore Kumar - Ghar Se Beghar Video
(Here for Video at the top of page)

Tags:
No tags yet