मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ
जो मुझको अरे बाँध रहा
वह है बड़ा नादान
मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ
जो मुझको अरे बाँध रहा
वह है बड़ा नादान
मुझको आते जाते
नाजुक तन लेहराके तिरछी
नज़रों से न देखना
मानो मेरे प्यारों
थक जाओगे यारों बाहों
के फंदे न फेंकना
दो चार भी मेरे लिए
आहें क्या भरना
मेरी हर फूलवारी
सब कलियों से न्यारी
अरे डाली है मेरा आशियां
सड़को पे गलियों में
लाखों रंग रैलियों में
नाच रही मेरी परछाईया
तोह साये को थामने
की कोशिश न करना
मैं झोंका मस्त हवा का
सुबह यहां शाम वहाँ