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Kishore Kumar - Zindagi Kya Hai Ik Lateefa Hai Lyrics

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Kishore Kumar - Zindagi Kya Hai Ik Lateefa Hai Lyrics
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सोम मंगल बुद्ध वीर शुक्र शनी इतवार सात
दिनों में हसना चाहिए कम से कम सात सौ बार

अच्छा दादा

हा तो बच्चो
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का बस यही तरीका है
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यही बस तरीका हैं
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुनो
हा एक बहरा एक अंधा एक लंगड़ा और एक भिकारी
जंगल में जा रहे थे चलते चलते बहरे ने कहा
अरे दोस्तों रुक जाओ ज़रा मुझे चोरो के
आने की आवाज सुनाई दे रही हैं
तो अंधे ने कहा अरे मूरख तुझे आवाज सुनाई दे रही हैं
मुझे तो मुझे तो चोर दिखाई दे रहे हैं
तो लँगड़ा बोला चलो चलो भाग चलते है
तो भिखारी बोला अरे जल्दी करो नहीं तो मैं लुट जाउंगा

हा हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (हा)
जीने का बस यही तरीका है

डुग डूगी बाजे डम डम डम डम
नाच बन्दरिया छम छम छम छम

ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यहीं बस तरीका है
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुनो आ

एक मिया बीबी आठवीं मंज़िल पे रहते थे
मिया दफ्तर जाने के लिए घर से निकला
नीचे सड़क पर आके उसे याद आया
अरे मेरा बटुआ तो ऊपर रह गया
उसने नीचे से आवाज लगाई बेगम अरी बेगम
मेरा बटुआ निचे फेकिये, बेगम ने कहा
क्या कहा जोर से बोलिए हुजूर
मुझे खुछ सुनाई नहीं दे रहा
मिया के गले में दूरबीन लटकी थी उसे दूर की सूझी
उसने फ़ौरन दूरबीन आँखो पे लगायी और अपनी बेगम
का नूरानी चेहरा अपने चेहरे के बिल्कुल पास ला कर कहा
बेगम मेरा बटुआ निचे फेख दीजिये

हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं ( हा हा)
जीने का बस यही तरीका हैं

ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
हा ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यही बस तरीका हैं
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुना हा

एक आदमी हलवाई की दुकान पर गया उसने रूपया फैका
और कहा ओये मुण्डिया एक ताजि और मीठी लस्सी बना
दुकानदार ने कहा अभी लो बादशाह, लस्सी पीते ही उस
आदमी को गुस्सा आ गया उसने दुकानदार से कहा
तुम बासि और खट्टी लस्सी पिला कर ग्राहको को लूटते हो
लाओ लाओ मेरे पैसे वापस करो दुकानदार ने कहा, हुज़ूर गुस्ताखी माफ़
पैसे लेना मेरा काम हैं पैसे देना मेरा काम नहीं मै तो नौकर हू
उस आदमी ने पूछा कहा है कहा है दुकान का मालिक नौकर ने कहा
हुज़ूर वो पास वाली दुकान में लस्सी पिने गया हैं

हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं हा हा)
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं)
जीने का यही बस तरीका हैं (जीने का यही बस तरीका हैं)
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सोम मंगल बुद्ध वीर शुक्र शनी इतवार सात
दिनों में हसना चाहिए कम से कम सात सौ बार

अच्छा दादा

हा तो बच्चो
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का बस यही तरीका है
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यही बस तरीका हैं
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुनो
हा एक बहरा एक अंधा एक लंगड़ा और एक भिकारी
जंगल में जा रहे थे चलते चलते बहरे ने कहा
अरे दोस्तों रुक जाओ ज़रा मुझे चोरो के
आने की आवाज सुनाई दे रही हैं
तो अंधे ने कहा अरे मूरख तुझे आवाज सुनाई दे रही हैं
मुझे तो मुझे तो चोर दिखाई दे रहे हैं
तो लँगड़ा बोला चलो चलो भाग चलते है
तो भिखारी बोला अरे जल्दी करो नहीं तो मैं लुट जाउंगा

हा हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (हा)
जीने का बस यही तरीका है

डुग डूगी बाजे डम डम डम डम
नाच बन्दरिया छम छम छम छम

ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यहीं बस तरीका है
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुनो आ

एक मिया बीबी आठवीं मंज़िल पे रहते थे
मिया दफ्तर जाने के लिए घर से निकला
नीचे सड़क पर आके उसे याद आया
अरे मेरा बटुआ तो ऊपर रह गया
उसने नीचे से आवाज लगाई बेगम अरी बेगम
मेरा बटुआ निचे फेकिये, बेगम ने कहा
क्या कहा जोर से बोलिए हुजूर
मुझे खुछ सुनाई नहीं दे रहा
मिया के गले में दूरबीन लटकी थी उसे दूर की सूझी
उसने फ़ौरन दूरबीन आँखो पे लगायी और अपनी बेगम
का नूरानी चेहरा अपने चेहरे के बिल्कुल पास ला कर कहा
बेगम मेरा बटुआ निचे फेख दीजिये

हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं ( हा हा)
जीने का बस यही तरीका हैं

ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
हा ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं
जीने का यही बस तरीका हैं
बोलो बोलो तो लो एक लतीफा सुना हा

एक आदमी हलवाई की दुकान पर गया उसने रूपया फैका
और कहा ओये मुण्डिया एक ताजि और मीठी लस्सी बना
दुकानदार ने कहा अभी लो बादशाह, लस्सी पीते ही उस
आदमी को गुस्सा आ गया उसने दुकानदार से कहा
तुम बासि और खट्टी लस्सी पिला कर ग्राहको को लूटते हो
लाओ लाओ मेरे पैसे वापस करो दुकानदार ने कहा, हुज़ूर गुस्ताखी माफ़
पैसे लेना मेरा काम हैं पैसे देना मेरा काम नहीं मै तो नौकर हू
उस आदमी ने पूछा कहा है कहा है दुकान का मालिक नौकर ने कहा
हुज़ूर वो पास वाली दुकान में लस्सी पिने गया हैं

हा हा हा हा हा हा
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं हा हा)
ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं (ज़िन्दगी क्या हैं इक लतीफ़ा हैं)
जीने का यही बस तरीका हैं (जीने का यही बस तरीका हैं)
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Laxmikant Pyarelal, ANANDSHI BAKSHI, ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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