अम्बे जी पट खोलिये
दर्शन अपना दीजिये
गई रैन शुभ भोर भई
दया दयानी कीजिये
अम्बे जी पट खोलिये
दर्शन अपना दीजिये
हुईं मुद्दतें हाथ पसारे
जग की पालनहार
मन्नत के धागे बांधे थे
कितने तेरे द्वार
हुईं मुद्दतें हाथ पसारे
जग की पालनहार
मन्नत के धागे बांधे थे
कितने तेरे द्वार
सबकी विनती सुन ली मैया
हम पर भी अब रीझिये
अम्बे जी पट खोलिये
दर्शन अपना दीजिये
ठोकर खाये जग के सताए
हम तेरा परिवार
कितनी दफाएँ अर्ज़ी दे दी
देखो तो इक बार
ठोकर खाये जग के सताए
हम तेरा परिवार
कितनी दफाएँ अर्ज़ी दे दी
देखो तो इक बार
तुम हो हमारी हम हैं तुम्हारे
सुधी हमारी लीजिये
अम्बे जी पट खोलिये
दर्शन अपना दीजिये
गई रैन शुभ भोर भई
दया दयानी कीजिये
अम्बे जी पट खोलिये
दर्शन अपना दीजिये