आयी करके सिंगार
आयी करके सिंगार रंग रूप यु निखार
बगिया में आये जैसे जैसे झुमके बहार
झुमके बहार झुमके बहार
ओ मेरा चंचल सा तन और चंचल यौवन
मेरे अंग अंग नवरस छल्के
हो मेरे अंग अंग नवरस छल्के
किसी प्रीतम बिना किसी साजन बिना
कही रह जाये न युही जलके
ओ कही रह जाये न युही जलके
जिसे कर लू स्वीकार ओ ओ
जिसे कर लू स्वीकार
दे दू प्रेम उपहार
कौन हे जो करे मेरे मन पे अधिकार
आयी करके सिंगार रंग रूप यु निखार
बगिया में आये जैसे झुमके बहार
झुमके बहार झुमके बहार
ओ क्यों हो इतने अधीर
क्यों हो इतने अधीर तुम दोनों शूरवीर
कहो किसको मैं आज अपनाऊँ
हो कहो किसको मैं आज अपनाऊँ
यहाँ जिसकी हो जित बने मन का वो मीत
प्रीत अपनी मैं उस पे लुटाऊ
हो प्रीत अपनी मैं उस पे लुटाऊ
मेरे मन की पुकार ओ ओ
मेरे मन की पुकार कहे यही बार बार
प्यार मेरा
प्यार मेरा चाहो तो कर लो जित हार
कर लो जित हार कर लो जित हार
आयी करके सिंगार रंग रूप यु निखार
बगिया में आये जैसे जैसे झुमके बहार
झुमके बहार झुमके बहार