जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए
तबाही तो हमारे दिल पे आई
आप क्यों रोए
हमारा दर्द-ए-ग़म है ये
इसे क्यों आप सहते हैं
ये क्यों आँसू हमारे
आपकी आँखों से बहते हैं
ग़मों की आग हमने खुद लगाई
आप क्यों रोए
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए
बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे
न अपना चैन खोकर आपका हम चैन खोएंगे
कयामत आपके अश्कों ने ढाई
आप क्यों रोए
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए
न ये आँसू रुके तो देखिये फिर हम भी रो देंगे
हम अपने आँसुओं में चाँद तारों को डूबो देंगे
फ़ना हो जाएगी सारी खुदाई
आप क्यों रोए
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
आप क्यों रोए