दिन जा रहें है के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहें है के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहें है के रातों के साये
जब कोई डूबा रातों का तारा
कोई सवेरा वापस ना आया
वापस जो आये विरान साये
दिन जा रहे है के रातों के साये
जीना था कोई मुश्किल नहीं था
मगर डूबने को साहिल नहीं वा
साहिल पे कोई अब तो बुलावे
दिन जा रहें है के रातों के साये
कांटो की चोरी टूटे ना टूटे
जरा जिंदगी से दामन तो छूटे
कोई जिंदगी के हाथ ना आये
दिन जा रहे हैं के रातों के साये
अपने समीरे बाकि उठाये
दिन जा रहे है