Back to Top

Lata Mangeshkar - Kabhi Kabhi Mere Dil Mein Khayal Aata Hai [Remix] Lyrics

theme

Lata Mangeshkar - Kabhi Kabhi Mere Dil Mein Khayal Aata Hai [Remix] Lyrics
Official




[ Featuring Mukesh ]

कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यह हो न सका
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे
इसे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये

कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता हैं
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं

न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में

सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं

सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में

कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही

मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यह हो न सका
मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे
इसे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं
न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये

कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता हैं
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं

न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी
इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में

सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं

सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में

कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी
यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओ में खो भी सकती थी
मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही

मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi
Copyright: Lyrics © Royalty Network
LyricFind




Lata Mangeshkar Kabhi Kabhi Mere Dil Mein Khayal Aata Hai [Remix] Video

Tags:
No tags yet