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Lata Mangeshkar - Kabhi Khamosh Rahte Hain Lyrics

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Lata Mangeshkar - Kabhi Khamosh Rahte Hain Lyrics
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कभी खामोश रहते हैं
कभी हम आह भरते हैं
किसी के वास्ते क्या क्या सितम
इस दिल पे करते हैं

जो वह नजरों में नजरें
डाल कर खुद हमसे यह पूछे
तोह दिल पे हाथ रख कर
हम भी कह दे
क्या
तुम पे मरते हैं
वाह वाह सुभान अल्लाह
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया

आ आ आ आ
ना समझा है ना समझेगा
जमाना दास्तां मेरी
मेरी खामोशिया हि
आजकाल हे राजदा मेरी
कोई कदमो में उनके जा के
रख आये मेरे दिल को
के उनके सामने खुलती
नहीं जालिम जबान मेरी
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया

किसी का हो के भी उससे
जुड़ा रहना ही पड़ता है
मोहब्बत ने दिया जो ग़म वह
ग़म सहना ही पड़ता है आ आ आ
कहा तक दर्द-इ-दिल कोई
छुपाए अपने सीने में
तड़प उठता है जब यह दिल
तोह फिर कहना ही पड़ता है
क्या
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
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कभी खामोश रहते हैं
कभी हम आह भरते हैं
किसी के वास्ते क्या क्या सितम
इस दिल पे करते हैं

जो वह नजरों में नजरें
डाल कर खुद हमसे यह पूछे
तोह दिल पे हाथ रख कर
हम भी कह दे
क्या
तुम पे मरते हैं
वाह वाह सुभान अल्लाह
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया

आ आ आ आ
ना समझा है ना समझेगा
जमाना दास्तां मेरी
मेरी खामोशिया हि
आजकाल हे राजदा मेरी
कोई कदमो में उनके जा के
रख आये मेरे दिल को
के उनके सामने खुलती
नहीं जालिम जबान मेरी
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया

किसी का हो के भी उससे
जुड़ा रहना ही पड़ता है
मोहब्बत ने दिया जो ग़म वह
ग़म सहना ही पड़ता है आ आ आ
कहा तक दर्द-इ-दिल कोई
छुपाए अपने सीने में
तड़प उठता है जब यह दिल
तोह फिर कहना ही पड़ता है
क्या
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
तरस रही अंखिया बरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
पी के दरस को तरस रही अंखिया
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Writer: CHITALKAR RAMCHANDRA, RAJINDER KRISHAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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