माँ गलियों की माटी छाने महलों में औलाद
पैदा करने वाली फिर भी कुछ ना करे फ़रियाद
खुश रहे तेरे नगरी बेटा माँ ये दुआ के चली
मेरा जितना फ़र्ज़ लिखा था मैं तो अदा कर चली
खुश रहे तेरे नगरी बेटा माँ ये दुआ कर चली
तेरे जन्म से पहले तेरी आस में आँख ना लगी
पैदा हुआ तो देख बालमी रात रात भर जगी
होके के बड़ा जब फेर ली आँखे
होके के बड़ा जब फेर ली आँखे नींद आँखियो से भागी
जीवन भर मैं दुःख की गठरी पल पल उठा कर चली
खुश रहे तेरे नगरी बेटा माँ ये दुआ कर चली
जीते जी तो बेटा मैं तूने जानी
जब मर जाऊ एक छोटी सी करना ये कुर्बानी
बेद लियो हर साल जरा सा
और ना कुछ भी तुझसे माँगू इसलिए सदा कर चली
खुश रहे तेरे नगरी बेटा माँ ये दुआ कर चली