कोई कोई रात ऐसी होती हैं
कोई कोई रात ऐसी होती हैं
जिसमे कोई बात ऐसी होती हैं
जो दिल से ज़ुबा तक लायी ना जाये
जो दिल से ज़ुबा तक लायी ना जाये
आँखों से छुपायी भी ना जाये
कोई कोई रात ऐसी होती हैं
जिसमे कोई बात ऐसी होती हैं
रौशनी दिए की भी बैरी लगे बैरी लगे, बैरी लगे
चंदा की चांदनी भी ज़हरी लगे, ज़हरी लगे, ज़हरी लगे
सेज भी हैं कलियों से महकी हुई
नैनो में निंदिया हैं बहकी हुई
और आने वाले आके भी ना आये
कोई कोई रात ऐसी होती हैं
जिसमे कोई बात ऐसी होती हैं
बेखुदी धीरे धीरे लायी वहा, लायी वहा, लायी वहा
बेकरारी में भी मज़ा आये जहा, आये जहा, आये जहा
आँचल भी सर से ढलकने लगा
उमंगों का सागर ढलकने लगा
कोई पलको को आके झुकाए
कोई कोई रात ऐसी होती हैं
जिसमे कोई बात ऐसी होती हैं
जो दिल से ज़ुबा तक लायी ना जाये
जो दिल से ज़ुबा तक लायी ना जाये
आँखों से छुपायी भी ना जाये
कोई कोई रात ऐसी होती हैं
जिसमे कोई बात ऐसी होती हैं