मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
मैं नार मतवाली
मैं फुलवा की डाली
चटक गयी
बाली उमरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
छूने से सैया
के नस नस
में बिजुरी सी
दोड़ गयी
अंग तोड़ गयी
छूने से
सैया के नस नस
में बिजुरी सी दोड़ गयी
अंग तोड़ गयी
बन के कमान
नज़र बेदर्दी की
तीर छोड़ गयी
अंग तोड़ गयी
तीर छोड़ गयी
अंग तोड़ गयी
मैं लाख पड़ी पेया
पकड़ के बैया
न रोक मुझे सैया
नगरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
मैं आज चलु ऐसे
नैना छुपाये
चली जाऊ घबराऊ
कोई जान न ले
पहचान न ले
नैना छुपाये
चली जाऊ घबराऊ
कोई जान न ले
पहचान न ले
अब का करू
शर्मो घबराऊ
कोई जान न ले
पहचान न ले
कोई जान न ले
पहचान न ले
जो आँख उठ जाये
सूरत तेरी हाय
नज़र साफ़ आये
नजरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
भूले से फिर हाथ में तेरे ना कलाई दूंगी
मैं दुहायी दूंगी
भूले से फिर हाथ में ना कलाई दूंगी
मैं दुहाई दूंगी
मैं भूली फिर सामने तेरे मैं ना अंगडाई लूंगी
मैं दुहाई दूंगी
अंगडाई लुंगी
मैं दुहाई दूंगी
ये हाल किया तने
के आँख लगे पहने
छुपाया मुख मैंने
चुनरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में
मैं नार मतवाली
मैं फुलवा की डाली
चटक गयी गयी
बाली उमरिया में
मैं आज चलु ऐसे
पवन चले जैसे
पतंग उड़े जैसे
नगरिया में