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Lata Mangeshkar - Nee Baliye Rut Hai Bahar Ki Lyrics

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Lata Mangeshkar - Nee Baliye Rut Hai Bahar Ki Lyrics
Official




[ Featuring Mukesh ]

नी बलिए रुत है बहार की
होये नी बलिए रुत है बहार की
ओये सुन चन वे रुत है बहार की
होये देखो आये वो लेके डोली प्यार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

आखिरी सुन ली मनमोहन ने मेरे मन की बोली हो
अब जाकार हमको पहचानी उनकी नजरे भोली
सखी घड़ी आ गई मेरे सिंगार की, सोलह सिंगार की
नी बलिए रुत है बहार की, सुन चनावे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
होये नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

दिल ने कहा तेरा सपना झूठा मैंने कहा सच होगा हो हो
हम पहले दिन जान गए थे कैसे क्या कब होगा
सुन लो ये सरगम दिल के सितार की, दिल के सितार की
नी बलिए रुत है बहार की, सुन चनावे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

रात रात भर सोचा तुमको कैसे पास बुलाउ
द्वार खड़े तुम लाज लगे अब समाने कैसे आउ
कभी इकरार की कभी इंकार की, कभी इंकार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
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नी बलिए रुत है बहार की
होये नी बलिए रुत है बहार की
ओये सुन चन वे रुत है बहार की
होये देखो आये वो लेके डोली प्यार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

आखिरी सुन ली मनमोहन ने मेरे मन की बोली हो
अब जाकार हमको पहचानी उनकी नजरे भोली
सखी घड़ी आ गई मेरे सिंगार की, सोलह सिंगार की
नी बलिए रुत है बहार की, सुन चनावे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
होये नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

दिल ने कहा तेरा सपना झूठा मैंने कहा सच होगा हो हो
हम पहले दिन जान गए थे कैसे क्या कब होगा
सुन लो ये सरगम दिल के सितार की, दिल के सितार की
नी बलिए रुत है बहार की, सुन चनावे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की

रात रात भर सोचा तुमको कैसे पास बुलाउ
द्वार खड़े तुम लाज लगे अब समाने कैसे आउ
कभी इकरार की कभी इंकार की, कभी इंकार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
कुछ मत पूछो कैसे बिती घड़िया इंतजार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
नी बलिए रुत है बहार की
सुन चन वे रुत है बहार की
[ Correct these Lyrics ]
Writer: SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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