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Lata Mangeshkar - Pighla Hai Sona Door Gagan Par Lyrics

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Lata Mangeshkar - Pighla Hai Sona Door Gagan Par Lyrics
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सोना पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहं हंहंहं हंहंहं
खामोशी कुछ बोल रही है भेद
अनोखे खोल रही है
पंख पखेरू सोच में गुम हे पेड़ खड़े
है सर झुकाए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये
हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण जाता हर नर नारी है
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहं
धुंदले धुंदले मस्त नज़ारे उड़ते बादल मुडते धारे
छुप के नज़र से जाने ये किस ने
रंग रंगीले खेल रचाये पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहंहं हंहं
कोई भी उठता राज़ न जाने
एक हक़ीक़त लाख फ़साने
एक ही जलवा शाम सवेरे
भेस बदल कर सामने आए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना पिघला है सोना
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सोना पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहं हंहंहं हंहंहं
खामोशी कुछ बोल रही है भेद
अनोखे खोल रही है
पंख पखेरू सोच में गुम हे पेड़ खड़े
है सर झुकाए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये
हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण जाता हर नर नारी है
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहं
धुंदले धुंदले मस्त नज़ारे उड़ते बादल मुडते धारे
छुप के नज़र से जाने ये किस ने
रंग रंगीले खेल रचाये पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहंहं हंहं
कोई भी उठता राज़ न जाने
एक हक़ीक़त लाख फ़साने
एक ही जलवा शाम सवेरे
भेस बदल कर सामने आए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना पिघला है सोना
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Writer: S D Burman, Sahir Ludhianvi
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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