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Lata Mangeshkar - Sab Janta Ka Hai Ye Lyrics

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Lata Mangeshkar - Sab Janta Ka Hai Ye Lyrics
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हो ओ ओ ओ
ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह रुपये पैसे आने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह घडी यह बटुए
छुपे खजाने सब जनता का है
यह पहले था तुम्हारा

लेकिन अब जनता का है(लेकिन अब्ब जनता का है)

यह पहले था तुम्हारा

लेकिन अब जनता का है(लेकिन अब्ब जनता का है)

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह रुपये पैसे आने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह घडी यह बटुए
छुपे खजाने सब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

शब्बू कैसी यह आजकल की रीत है
काले बाजार वाली
मिट्टू अंदर भरा गोदाम है
मगर बाहर दुकान खाली
बच्चा जो लाइन में लग रहा
तोह बूढ़ा होके पलट रहा
गेंहू चावल हेरा फेरी का काम दिखाये
सब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

भगवान् हम अगर
इसी तरह अपनी मुराद पायी
हलवे मिठाई का सदा
तुम्हे परशाद हम चढ़ाये
पर कब तक यूं ही खड़े रहे
हम क्या बाहर ही अड़े रहे
यह पंडित जी तुम घेर के जिसको बैठे हो
वह रब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
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हो ओ ओ ओ
ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह रुपये पैसे आने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह घडी यह बटुए
छुपे खजाने सब जनता का है
यह पहले था तुम्हारा

लेकिन अब जनता का है(लेकिन अब्ब जनता का है)

यह पहले था तुम्हारा

लेकिन अब जनता का है(लेकिन अब्ब जनता का है)

यह ऊँचे महल सुहाने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह रुपये पैसे आने

सब जनता का है(सब जनता का है)

यह घडी यह बटुए
छुपे खजाने सब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

शब्बू कैसी यह आजकल की रीत है
काले बाजार वाली
मिट्टू अंदर भरा गोदाम है
मगर बाहर दुकान खाली
बच्चा जो लाइन में लग रहा
तोह बूढ़ा होके पलट रहा
गेंहू चावल हेरा फेरी का काम दिखाये
सब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

भगवान् हम अगर
इसी तरह अपनी मुराद पायी
हलवे मिठाई का सदा
तुम्हे परशाद हम चढ़ाये
पर कब तक यूं ही खड़े रहे
हम क्या बाहर ही अड़े रहे
यह पंडित जी तुम घेर के जिसको बैठे हो
वह रब जनता का है

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)

तोह जनता को ही दे दो(तोह जनता को ही दे दो)
जब यह हक़ जनता का है(जब यह हक़ जनता का है)
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Writer: LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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