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Lata Mangeshkar - Yeh Parbaton Ke Daire Lyrics

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Lata Mangeshkar - Yeh Parbaton Ke Daire Lyrics
Official




[ Featuring Mohammed Rafi ]

ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
नज़र जो बात कह चुकी वो बात मुँह से बोल दो
के झूम उठे निगाह में बहार का समाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
हर एक ख़याल खो गया बस अब यही ख़याल है
के फ़ासला ना कुछ रहे हमारे दरमियाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ये रूप-रंग, ये फ़बन चमकते चाँद सा बदन
ये रूप-रंग, ये फ़बन चमकते चाँद सा बदन
बुरा ना मानो तुम अगर तो चुम लूँ किरण-किरण
के आज हौसलों में है बला की गर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ हम्म हम्म
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ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो फ़िज़ा में इत्र घोल दो
नज़र जो बात कह चुकी वो बात मुँह से बोल दो
के झूम उठे निगाह में बहार का समाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है
हर एक ख़याल खो गया बस अब यही ख़याल है
के फ़ासला ना कुछ रहे हमारे दरमियाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ

ये रूप-रंग, ये फ़बन चमकते चाँद सा बदन
ये रूप-रंग, ये फ़बन चमकते चाँद सा बदन
बुरा ना मानो तुम अगर तो चुम लूँ किरण-किरण
के आज हौसलों में है बला की गर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यूँ ना छेड़ दे दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ हम्म हम्म
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Chitragupta, Sahir Ludhianvi, LUDHIANVI SAHIR
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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