ज़ुल्म तुम्हारे सह न सके हम सब्र का दामन छूट गया
इक ठेस लगी आँसू टपके इक चोट लगी दिल टूट गया
इक ठेस लगी आँसू टपके इक चोट लगी दिल टूट गया
इक ठेस लगी
नज़रों की लगावट दिल की लगी सुख से नहीं रहने देती कभी
दिल पर तेरे ग़म में ये गुज़री इक छाला बना और फूट गया
इक ठेस लगी आँसू टपके इक चोट लगी दिल टूट गया
इक ठेस लगी
मुँह फेर के जाने वाले ठहर फ़रियाद तो मेरी सुनता जा
जिसमें के तेरी तस्वीर सजी थी आज वो शीशा टूट गया
इक ठेस लगी आँसू टपके इक चोट लगी दिल टूट गया
इक ठेस लगी