तेरा मेरा मंदिर क्या है, ऐ भोले इंसान
मन की आँख से देख बावंरे
कण कण में भगवान
कण कण में भगवान, कण कण में भगवान
मन की आँँ से देख मिलेगा
कण कण में भगवान, कण कण में भगवान
कण कण में भगवान
बूंद बंद में लहर लहर मे, पत्ते पते में वो समाया
रुप रंग में जल तरंग में, अंग अंग में उसी की छाया
यहाँ वहाँ वो कहाँ नहीं हैं
जहाँ तहां वो कहाँ नहीं हैं (जहाँ तहां वो कहाँ नहीं हैं)
पहचान सके तो पहचान (पहचान सके तो पहचान)
कण कं में भगवान, कण कण में भगवान
चांदी का तो छत्र चढ़ाया, सोने का सिंघासन हैं
रेशम और मखमल से उसका; खूब सजाया आसान हैं
लड्डू और पकवान बिलातें, हरदम उस जगत्रता को
तुमने क्या अपने जैसा, भूखा समझा उस दाता को
जो कुबेर का भरे खजाना
जो कुबेर का भरे खजाना, तू क्या देगा दान (जो कुबेर का भरे खजाना, तू क्या देगा दान)
कण कण में भगवान, कण कण में भगवान
उड़े धान जब हरे खेत में, दर्शन करें किसान
एक एक दाने में चमके, उसकी ज्योति महान
अन्न हैं उसका इष्ट देवता
अन्न हैं उसका इष्ट देवता (अन्न हैं उसका इष्ट देवता)
मंदिर हैं खलियान (मंदिर हैं खलियान)
कण कण में भगवान, कण कण में भगवान
उसे बनाने चला बंद कर, मंदिर में इंसान
छुआ छुत का भुत बन गया, बना नहीं भगवान्
ये उंचा हैं ये नीचा हैं, ये पंडित की भाषा
हरी को भजे सो हरी का होई
अर्ज करे रह दाता
अर्ज करे रह दाता
अर्ज करे रह दाता
कण कण में भगवान, कण कण में भगवान (आ आ)