मेरे सनम, सुन मेरा गम
उलझने ज़िंदगी बन गयी
तू कही मैं कही
मेरे सनम
ज़िंदगी के दुख भरे ये दिन कहा बिताऊ
जो ना कोई गम करे वो दिल कहा से लाउ
सब कुछ है फिर भी जैसे कुछ नही
उलझने ज़िंदगी बन गयी
तू कही मैं कही
मेरे सनम
जल रहा है दिल मेरा मै चुप रहु तो कैसे
घुट रहा है दम मेरा मै कुछ कहु तो कैसे
गम से हदे खुशी की जा मिली
उलझने ज़िंदगी बन गयी
तू कही मैं कही
मेरे सनम सुन मेरा गम
उलझने ज़िंदगी बन गयी
तू कही मैं कही
मेरे सनम