बुद्धम शरणम गच्छामि
जब दुनिया से प्यार उठे
जब दुनिया से प्यार उठे (ओ हो हो)
नफ़रत की दीवार उठे (ओ हो हो)
माँ की ममता पर जिस दिन (ओ हो हो)
बेटे की तलवार उठे (आ हा हा)
धरती की काया काँपे
अम्बर डगमग उठे डोल
तब मानव तू मुख से बोल
बुद्धम शरणम गच्छामि
तब मानव तू मुख से बोल
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
दूर किया जिसने जनजन के
व्याकुल मन का अँधियारा
जिसकी एक किरण को छूकर
चमक उठा ये जग सारा
दिप सत्य का सदा जले (ओ हो हो)
दया अहिंसा सदा फले (ओ हो हो)
सुख शांति की छाया में (ओ हो हो)
जन गण मन का प्रेम पले (ओ हो हो)
भारत के भगवान बुद्धा का गूँजे घर घर मंत्र अमोल
हे मानव नित् मुख से बोल
बुद्धम शरणम गच्छामि
हे मानव नित् मुख से बोल
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि
बुद्धम शरणम गच्छामि