धर्मग्रंथ सब जला चुकी है
धर्मग्रंथ सब जला चुकी है, जिसके अन्तर की ज्वाला
मन्दिर मस्जिद गिरिजे सब को, तोड़ चुका जो मतवाला
पण्डित मोमिन पादरियों के फन्दों को जो काट चुका
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला