लाल सुरा की धार लपट सी, कह न इसे देना ज्वाला
कह न इसे देना ज्वाला
फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला
दर्द नशा है इस मदिरा का
दर्द नशा है इस मदिरा का, विगत स्मृतियां साक़ी है
पीड़ा में आनन्द जिसे हो, आये मेरी मधुशाला
पीड़ा में आनन्द जिसे हो, आये मेरी मधुशाला