Back to Top Down To Bottom

Manna Dey - Meri Bhi Ek Mumtaz Thi Lyrics



Manna Dey - Meri Bhi Ek Mumtaz Thi Lyrics
Official




सुनसान ज़माना का किनारा, प्यार का अंतिम सहारा
चाँदनी का कफ़न ओढ़ा, सो रहा क़िस्मत का मारा
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
पत्थरों की ओट में महकी हुई
तन्हाइयाँ कुछ नहीं कहती
डालियों की झूमती और डोलती
परछाइयाँ कुछ नहीं कहती
खेलती साहिल पे लहरें ले रही
अंगड़ाइयाँ कुछ नहीं कहती
ये जान के चुपचाप हैं मेरे मुकद्दर की तरह
हमने तो इनके सामने खोला था दिल के राज़ को
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
ये ज़मीन की गोद में क़दमों का
धुँधला सा निशान ख़ामोश है
ये रुका-पहला आसमाँ, मध्यम
सितारों का जहाँ ख़ामोश है
ये ख़ूबसूरत रात का खिलता हुआ
गुलशन जवान ख़ामोश है
रंगीनियाँ मदहोश हैं अपनी ख़ुशी में डूबकर
किस तरह इनको सुनाऊँ अब मेरी आवाज़ को?
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को?
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
[ Correct these Lyrics ]

[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics in English. If you would like to submit them, please use the form below.

[ Or you can Request them: ]

We currently do not have these lyrics in Hindi. If you would like to submit them, please use the form below.

[ Or you can Request them: ]

Hindi

सुनसान ज़माना का किनारा, प्यार का अंतिम सहारा
चाँदनी का कफ़न ओढ़ा, सो रहा क़िस्मत का मारा
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
पत्थरों की ओट में महकी हुई
तन्हाइयाँ कुछ नहीं कहती
डालियों की झूमती और डोलती
परछाइयाँ कुछ नहीं कहती
खेलती साहिल पे लहरें ले रही
अंगड़ाइयाँ कुछ नहीं कहती
ये जान के चुपचाप हैं मेरे मुकद्दर की तरह
हमने तो इनके सामने खोला था दिल के राज़ को
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
ये ज़मीन की गोद में क़दमों का
धुँधला सा निशान ख़ामोश है
ये रुका-पहला आसमाँ, मध्यम
सितारों का जहाँ ख़ामोश है
ये ख़ूबसूरत रात का खिलता हुआ
गुलशन जवान ख़ामोश है
रंगीनियाँ मदहोश हैं अपनी ख़ुशी में डूबकर
किस तरह इनको सुनाऊँ अब मेरी आवाज़ को?
किससे पूछूँ मैं भला, अब देखा कहीं मुमताज़ को?
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
मेरी भी एक मुमताज़ थी, मेरी भी एक मुमताज़ थी
[ Correct these Lyrics ]
Writer: MANNA DEY, RAJASTHANI MADHUKAR
Copyright: Lyrics © Royalty Network

Back to: Manna Dey



Manna Dey - Meri Bhi Ek Mumtaz Thi Video
(Show video at the top of the page)


Performed by: Manna Dey
Language: Hindi
Length: 4:17
Written by: MANNA DEY, RAJASTHANI MADHUKAR
[Correct Info]
Tags:
No tags yet