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Mithoon - Bolo Har Har Har Lyrics



Mithoon - Bolo Har Har Har Lyrics
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आग बहे तेरी रग में
तुझसा कहाँ कोई जग में
है वक़्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढाए कहर

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर
आदि ना अंत है उसका
वो सबका ना इनका उनका
वही है माला वही है मनका
मस्त मलंग वो अपनी धुन का
जंतर मंतर तंतर जागी
है सर्वत्र के स्वाभिमानी
मृत्युंजय है महा विनाशी
ओमकार है इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
भांग धतुरा बेल का पत्ता
तीनो लोक इसी की सत्ता
विष पीकर भी अडिग अमर है
महादेव हर हर है जपता (जपता)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय (बसा शिवाय)

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर (हो हो)

अघोरानाम परो मंत्रो नास्ति तत्वों गुरु परम
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय
शिव रक्ष्यामम शिव पाहिमाम
शिव त्राहिमाम शिव रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव पाहिमाम
महादेव जी पाहिमाम शरणागतम्
तवं त्राहिमाम रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव

आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सौम् य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जन् मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी
है प्यासी हाँ प्यासी
राम भी उसका रावन उसका
जीवन उसका मरण भी उसका
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है
आँख तीसरी जब ये खोले
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले
गूँज उठे हर दिशा क्षितिज में
नांद उसी का बम बम भोले (बम बम भोले)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय

तू ही शिवा तुझमे ईश्वर
कोई नही यहाँ तेरे सिवा
उड़ा राख अग्नि को ज्वाला तू कर
मिटा दे अंधेरे तू बन के सहर
तो बोलो हर हर हर
जा जा कैलाश जा कर विनाश (हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी (तो बोलो हर हर हर)
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सोम्य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जलना है कैलाशी
शक्ति जिसकी दर्द की प्यासी (तो बोलो हर हर हर)

यक्ष स्वरूपाया जट्टा धराय
पिनाका हस्थाथाया सनातनाय
दिव्याया देवाया दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय
[ Correct these Lyrics ]

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आग बहे तेरी रग में
तुझसा कहाँ कोई जग में
है वक़्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढाए कहर

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर
आदि ना अंत है उसका
वो सबका ना इनका उनका
वही है माला वही है मनका
मस्त मलंग वो अपनी धुन का
जंतर मंतर तंतर जागी
है सर्वत्र के स्वाभिमानी
मृत्युंजय है महा विनाशी
ओमकार है इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
भांग धतुरा बेल का पत्ता
तीनो लोक इसी की सत्ता
विष पीकर भी अडिग अमर है
महादेव हर हर है जपता (जपता)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय (बसा शिवाय)

तो बोलो हर हर हर

तो बोलो हर हर हर (हो हो)

अघोरानाम परो मंत्रो नास्ति तत्वों गुरु परम
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय
शिव रक्ष्यामम शिव पाहिमाम
शिव त्राहिमाम शिव रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव पाहिमाम
महादेव जी पाहिमाम शरणागतम्
तवं त्राहिमाम रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव

आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सौम् य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जन् मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी
है प्यासी हाँ प्यासी
राम भी उसका रावन उसका
जीवन उसका मरण भी उसका
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है
आँख तीसरी जब ये खोले
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले
गूँज उठे हर दिशा क्षितिज में
नांद उसी का बम बम भोले (बम बम भोले)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय

तू ही शिवा तुझमे ईश्वर
कोई नही यहाँ तेरे सिवा
उड़ा राख अग्नि को ज्वाला तू कर
मिटा दे अंधेरे तू बन के सहर
तो बोलो हर हर हर
जा जा कैलाश जा कर विनाश (हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी (तो बोलो हर हर हर)
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सोम्य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जलना है कैलाशी
शक्ति जिसकी दर्द की प्यासी (तो बोलो हर हर हर)

यक्ष स्वरूपाया जट्टा धराय
पिनाका हस्थाथाया सनातनाय
दिव्याया देवाया दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय
[ Correct these Lyrics ]
Writer: MITHOON, SANDEEP SHRIVASTAVA
Copyright: Lyrics © Universal Music Publishing Group

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