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Is Duniya Mein Jee Nahin Sakta Video (MV)






Mohammed Aziz - Is Duniya Mein Jee Nahin Sakta Lyrics
Official




[ Featuring Laxmikant Pyarelal ]

इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा

इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

मैं ग़म हूँ, अरमान नहीं, पत्थर हूँ, इंसान नहीं
मैं ग़म हूँ, अरमान नहीं, पत्थर हूँ, इंसान नहीं
हाँ-जी-हाँ, ये सच है मुझको फूलों की पहचान नहीं

मैंने फूल बहुत कम देखे, काँटे बहुत ज़ियादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

पीते-पीते दिन निकला, पीते-पीते रात हुई
पीते-पीते दिन निकला, पीते-पीते रात हुई
एक मगर, हाँ, कभी-कभी अनहोनी सी बात हुई

आँख में आँसू भर आए, हँसने का किया इरादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

कभी इधर मुड़ जाता हूँ, कभी उधर मुड़ जाता हूँ
कभी इधर मुड़ जाता हूँ तो कभी उधर मुड़ जाता हूँ
मैं भँवरा हूँ सब कलियों का रस पीकर उड़ जाता हूँ

ना मैं क़समें खाता हूँ, ना करता हूँ कोई वादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा

वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
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Romanized

इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा

इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

मैं ग़म हूँ, अरमान नहीं, पत्थर हूँ, इंसान नहीं
मैं ग़म हूँ, अरमान नहीं, पत्थर हूँ, इंसान नहीं
हाँ-जी-हाँ, ये सच है मुझको फूलों की पहचान नहीं

मैंने फूल बहुत कम देखे, काँटे बहुत ज़ियादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

पीते-पीते दिन निकला, पीते-पीते रात हुई
पीते-पीते दिन निकला, पीते-पीते रात हुई
एक मगर, हाँ, कभी-कभी अनहोनी सी बात हुई

आँख में आँसू भर आए, हँसने का किया इरादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा

कभी इधर मुड़ जाता हूँ, कभी उधर मुड़ जाता हूँ
कभी इधर मुड़ जाता हूँ तो कभी उधर मुड़ जाता हूँ
मैं भँवरा हूँ सब कलियों का रस पीकर उड़ जाता हूँ

ना मैं क़समें खाता हूँ, ना करता हूँ कोई वादा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा
इस दुनिया में जी नहीं सकता आदमी सीधा-साधा
इसीलिए मैं बन गया वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा

वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
वीरु से वीरू दादा, वीरू दादा
[ Correct these Lyrics ]
Writer: ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network


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