अरे कहा रे - धन्याबाद कविचंद पुकारे
जुग जुग जियो कनोजी राय
मनोकामना पूर्ण हुई है
करि है कृपा शारदा माँ
गज भर छाती जय चण्डा की
काया सिंह बरनजो सहाये
अरे मुछे चाट रही गालो को
मुछे चाट रही गालो को
चोरी बदले और रही जाये
क्या कहना है राजनीती को
राजा राम चंदर शरमात
अरे दुश्मन के घर से मैं आया
स्वागत कियो मित्र की भात
किला बनाया है लोहे का
रक्षा करे कंग सी धार
अरे क्या मजाल जो प्राण बचाकर
पंछी निकल जाये उस पार
चौथे पर को ठेके अंदर
बना सवयंबर लाल कमाल
अरे बड़े बड़े राजा हा हा हा
बड़े बड़े राजा जरी जरी देखे किसे मिल्कत जा माल
अरे गजब धक् जय चंदर राइ की
ढंके सारा हिंदुस्तान
अरे क्या बात करू क्या बात करू क्या बात करू क्या
बात करू क्या आँगन की जब कापे कापे कापे जब कापे दिल्ली का चोहान
दिन पलटियो पलटी घड़ी
पलटी हथ कमान
पीतल यही परखियो दिन पलतियो चौहान