ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ आ आ आ आ आ आ
देखो बिना सावन बरस रही बदली
पिया के दरस को तरस रही बदली
देखो बिना सावन बरस रही बदली
पी बिन दुनिया सुनी हो गयी
मन की पीड़ा दूनी हो गयी
मन की पीड़ा दूनी हो गयी
सौ गम जागे किस्मत सो गयी
छलक रही नैनन की गगरी
देखो बिना सावन बरस रही बदली
पिया के दरस को तरस रही बदली
रह गयी बिरहन हर पिरोती
टूटे सपने बिखरे मोती
टूटे सपने बिखरे मोती
बिछड़ गयी दीपक से ज्योती
लूट गयी हाय मन की नगरी
देखो बिना सावन बरस रही बदली
पिया के दरस को तरस रही बदली
इस दुनिया ने
इस दुनिया ने प्यार है छीना
कब तक रो रो आँसू पीना
दूर सजन से कैसा जीना
छोड़ दे दुनिया अब तू पगली
देखो बिना सावन बरस रही बदली
पिया के दरस को तरस रही बदली