मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
पाप कहो या पुण्य कहो
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
एक छवि थी लाखों में आन बसी इन आँखों में
एक कली मुस्काई थी मन भँवरे को भायी थी
एक दिन प्यार का फूल खिला मेरे सुर को गीत मिला
पर किस्मत लायी रंग नए सुर छूटे और गीत गए
बिच भँवर तूने छोड़ा भरे प्रेम में मुंह मोड़ा
प्यार पे ऐसा वार किया
उफ़ जीना उफ़ जीना दुश्वार किया
अब शराब ने साथ दिया
तोह तुझ बिन जीना सिख लिया
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
लोग कहे क्यों हा हा हा
लोग कहे क्यों पीते हो
मन कहता क्यों जीते हो
जीने की कोई चाह नहीं
मरने की कोई राह नहीं
जीवन है जब रोग यहाँ
बोलो इसकी दवा कहाँ
प्यार के जान ना पीते हम
खोकर होश ना पाते गम
हमने मंजिल ढुंढी
थी लेकिन किस्मत रूठी थी
राह में साथी हाय
राह में साथी छूट गया
ठेस लगी दिल टूट गया
अब तोह इसी नशे के
धागों से दिल सीना सिख लिया
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया
अरे पाप कहो या पुण्य कहो
मैंने पीना सीख लिया
मैंने पीना सीख लिया