बोल गयी धरती की काया काँप गयो आकल
बिना दोष के सीता को जब राम दियो वनवास
सुनो सीता की कहानी की वो महलो की रानी
छोड़ घर बार गयी वनवास किसी ने कदर ना जानी
सुनो सीता की कहानी की वो महलो की रानी
छोड़ घर बार गयी वनवासीन किसी ने कदर ना जानी
डगर डगर भटके वनवास पग पग ठोकर खाए
भूखी प्यासी फिरे हो वन मे मन मे पीर छुपाए
पड़ गये छाले पाओ मे दो नयन कमाल मुरझाए
राम सिया राम जय जय राम सिया राम
राम सिया राम जय जय राम सिया राम
पड़ गये छाले पाओ मे दो नयन कमल मुरझाए
नयन कमल मुरझाए
कैसे सुने कथा ये कोई कैसे कोई सुनाए
राम सियाराम सियाराम राम सियाराम सियाराम
कैसे सुने कथा ये कोई कैसे कोई सुनाए
छलक पड़े नय्नन की गगरी छम छम बरसे पानी रे छम छम बरसे पानी
सुनो सीता की कहानी की वो महलो की रानी
छोड़ घर बार गयी वनवास किसी ने कदर ना जानी
देखो दुनिया वालो सीता सती की प्रीत महान
सती सीता की प्रीत महान
जिसने दिया वनवास उसीके ही करती गुणगान
उसीके ही करती गुणगान
कहे प्रभु से कुछ मांगू तो मांगू ये वरदान
राम सिया राम जय जय रामसिया राम
रामसिया राम जय जय रामसिया राम
कहे परभु से कुछ मंगु तो
मांगू ये वरदान
मांगू ये वरदान
अपने पति के चरणों मे ही निकले मेरे प्राण
राम सियाराम सियाराम राम सियाराम सियाराम
अपने पति के चरणों मे ही निकले मेरे प्राण(राम सियाराम सियाराम राम सियाराम)
राम सियाराम सियाराम राम सियाराम सियाराम
अपने पति के चरणों मे ही निकले मेरे प्राण(राम सियाराम सियाराम राम सियाराम)