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Mukesh - Kaun Kaun Kitne Pani Mein Lyrics

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Mukesh - Kaun Kaun Kitne Pani Mein Lyrics
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सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

दौलत है तेरे कदमों में क़िस्मत है तेरे हाथों में
खुशियाँ है तेरी पलकों में मस्ती है तेरी आँखों में
सब कुछ तुझको मालिक ने दिया मैं तुझको क्या दे सकता हूँ
इक रूप को भेट की रिश्वत देना लगता है अपमान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

कोई शान की खातिर पैसे को पानी की तरह बहाता है
कही बिन क़ीमत मालिक का दिया पानी पैसे से बिकता है
इस सभा की सुन्दर चेहरों से रौनक तो बढती है लेकिन
रौनक वाले चेहरों के पीछे मिले है दिल सुनसान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

धर्म कर्म सभ्यता मर्यादा नज़र ना आई मुझे कही
गीता ज्ञान की बाते देखो आज किसी को याद् नहीं
माफ़ मुझे कर देना भाइयो झूठ नहीं मैं बोलूंगा
वही कहूँगा आपसे जो गीता से मिला है ज्ञान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है
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सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

दौलत है तेरे कदमों में क़िस्मत है तेरे हाथों में
खुशियाँ है तेरी पलकों में मस्ती है तेरी आँखों में
सब कुछ तुझको मालिक ने दिया मैं तुझको क्या दे सकता हूँ
इक रूप को भेट की रिश्वत देना लगता है अपमान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

कोई शान की खातिर पैसे को पानी की तरह बहाता है
कही बिन क़ीमत मालिक का दिया पानी पैसे से बिकता है
इस सभा की सुन्दर चेहरों से रौनक तो बढती है लेकिन
रौनक वाले चेहरों के पीछे मिले है दिल सुनसान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है

धर्म कर्म सभ्यता मर्यादा नज़र ना आई मुझे कही
गीता ज्ञान की बाते देखो आज किसी को याद् नहीं
माफ़ मुझे कर देना भाइयो झूठ नहीं मैं बोलूंगा
वही कहूँगा आपसे जो गीता से मिला है ज्ञान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझे
सब से बड़ा नादान वही है
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Shankar-Jaikishan, Varma Malik
Copyright: Lyrics © Royalty Network
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