यूँहीं बरस बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाए इस चाहत की बारिश में
मैं भूला नहीं हसीं मुलाकातें
बेचैन कर के मुझको, मुझसे यूँ ना फेर नजर
सर्दी की रातों में हम सोये रहें इस चादर में
हम दोनो तनहा हो (हम दोनो तनहा हो)
ना कोई भी रहे इस घर में (ना कोई भी रहे इस घर में)
जरा जरा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तनबदन (आज तो मेरा तनबदन)
मैं प्यासा हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में (मुझे भर ले अपनी बाहों में)
धीं ताना ता ना ता धीं ताना ता ना ता
धीं ताना ता ना ता धीं ताना ता ना ता